Friday, August 29, 2014

देश के विकास में जन का धन योजना

मोदी ने देश की जनता को पहली बड़ी सौगात दी है.... पीएम ने दिल्ली के विज्ञान भवन से पूरे देश की जनता को बैंक खाते खुलवाने के लिए एक ऐसा तौहफा दिया है..जिससे देश के आम आदमी के पास एक ऐसी ताकत होगी जिससे वो अपनी मेहनत की कमाई को बैंकों में जमा कर सकेंगे... अब देश के गांवों में रहने वाली 42 फीसदी आबादी जिनके पास बैंकों में खाता नही था वो लोग भी आसानी से खाता खुलवा सकते हैं....लेकिन मोदी की इस योजना के अंदर कई मायने निकल रहे हैं.... एक तो मोदी देश की आवाम को सही मायने में 21वीं सदी में लाना चाहते हैं... दूसरी ओर देश के पैसे को देश के विकास में लगाने की योजना मोदी ने तैयार कर ली है.... मोदी देश के विकास में हर भारतीय को शामिल करना चाहते हैं....प्रधानमंत्री अपने इस विजन को कई बार सार्वजनिक मंचों से ज़ाहिर भी कर चुके हैं...वो आम आदमी को यह एहसास दिलाना चाहते है कि उनका भी पैसा देश के विकास में लगा है...मोदी ने 15 अगस्त को लाल किले के प्राचीर से जन धन योजना की घोषणा की थी औऱ 13 दिनों में ही इस योजना को अमली जामा पहना दिया... ऐसा शायद देश के इतिहास में पहली बार हुआ कि कोई योजना घोषणा को इतने कम समय में मूर्त रूप में आ गई हो... मोदी की इस योजना के लागू होते ही एक नया इतिहास और रचा गया... देशभर में एक दिन में 1.5 करोड़ लोगों ने खाता खुलवाएं....साथ ही इतने लोगों का एक साथ बीमा भी हो गया हो...प्रधानमंत्री मोदी ने 6 महीने में 7.5 करोड़ घरों में 15 करोड़ लोगों के खाते खुलवाने का लक्ष्य तय किया है....इसके साथ ही 26 जनवरी 2015 तक खाता खुलवाने वालो को एक लाख तीस हजार रूपये के बीमा का भी तौहफा दे दिया... जिसमें एक लाख का दुर्घटना बीमा और तीस हजार का जीवन बीमा होगा...लेकिन मोदी की इस योजना के अन्दर झांक के देखें तो तस्वीर कुछ और ही दिखती है.... एक ऐसी तस्वीर जिसमें सबकी तरक्की होगी... अगर मान ले कि 15 करोड़ लोग 26 जनवरी तक खाता खुलवा लेते हैं और उनमें से 15 करोड़ लोग अपने खाते में 1000 रूपये जमा करते है तो सरकार को 150 अरब रूपये मिल जाएगें जो देश का पैसा होगा....मेरा अनुमान है कि यह रकम इससे कहीं ज्यादा होगी.... जिसके लिए सरकार के विश्व बैंक को ब्याज भी नही देना होगा....यानी मोदी सरकार को देश में कोई भी बड़ा प्रोजेक्ट शुरू करने के लिए विश्व बैंक की ओर हाथ नहीं फैलाने पड़ेगें... देश के अंदर का पैसा जितना बाजार में आएगा उतना ही रूपया मजबूत होगा जिसका नतीजा ये होगा भारत विश्व पटल पर वैश्विक स्तर पर मजबूत बनेगा... इस योजना का दूसरा पहलू यह भी है कि मोदी देश से भ्रष्टाचार को खत्म करना चाहते हैं.... अब सरकार लोगों के दी जाने वाली सब्सिडी को सीधे उनके खाते में पहुंचा देगी.... इसके साथ ही मनरेगा में हो रहे घोटालों पर भी सरकार लगाम लगा सकेगी.... सरकार लोगों को उनकी मेहनत का मेहनताना सीधे उनके खाते में भेजा करेगी.... जिससे दलालों, अधिकारियो और ग्राम प्रधानों पर लगाम लगेगी जो गांव के मासूम लोगों का छल से पैसा निकाल लेते थे... प्रधानमंत्री मोदी की इस योजना से बैंक उत्साही तो जरूर हैं लेकिन उनके मन में एक शंका भी है... बैंक खाता खुलवाने 6 महीने बाद 5000 रूपये के ओवरड्राफ्ट को लेकर परेशान हैं... देशभर में ऐसे लाखों खाते हैं जिनमें सालों के कोई लेन-देन नही हुआ है... और अगर लोगों ने ओवर ड्राफ्ट का गलत फायदा उठाया तो बैंकों को करोड़ों रूपये का नुकसान होगा...प्रधानमंत्री मोदी शुरु से ही महिलाओं को सशक्त बनाने में लगे हुए हैं... इस योजना को भी मोदी ने देश की महिलाओं के लिए एक बड़ी कामयाबी बताया है....

Tuesday, August 26, 2014

अब बदलेंगे दिन हम इंतजार में हैं.............

आजादी के 67 साल बीत गये... फिर भी देश की एक बड़ी आबादी आज भी दो जून की रोटी के लिए दिन रात जद्दोजहत कर रही है.. ये आबादी आज भी खुद को साबित करने के लिए संघर्ष कर रही है... कोई खुद का राशन कार्ड बनवाना चाहता है तो कोई सरकार से योजना के नाम पर मिलने वाली रकम के इंतजार में है....लेकिन ये इंतजार है कि खत्म ही नही होता... नेता है कि लोगों को आश्वासन देते हैं....अधिकारी लोगों के टरकाते रहते हैं... ये हाल है आज के आम आदमी का.... जो सरकार, नेता और अधिकारियों के बीच में पेंढ़ुलम बना हुआ है.... देश में जो हालात नेहरू के दौर में सन् 47 में थे वो आज मोदी राज में भी है... नेहरू से लेकर मनमोहन तक और अब मोदी के दौर में योजनाएं बहुत तैयार की गई... लोगों को लगा कि अब कुछ सालों में देश की गरीबी दूर हो जाएगी...लेकिन लाखों योजनाओं के बाद भी कोई सरकार और नेता देश के हालात नहीं बदल पाया... आखिर ये कैसी गरीबी है जो अरबों रूपये खर्च होने के बाद भी जाने का नाम नही ले रही है... आज भी देश में पानी, सड़क, बिजली जैसी समस्याओं को लेकर लोग एक दूसरे को मरने मारने पर उतारू हो जाते है.... यानी आजादी के वक्त देश में पानी, सड़क, बिजली ही बड़े मुद्दे थे... यही मुद्दे आज भी कायम हैं... ऐसा नही है कि सरकारों ने इन समस्याओं को हल करने के प्रयास नही किए.. नेहरू के दौर में योजना आयोग बना वो मनमोहन के दौर तक में काम करता रहा.... तब से अब तक योजना आयोग ने कई योजनाएं गरीबों के लिए तैयार की लेकिन वो सिर्फ फाइलों में रही या फिर कुछ ही लोगों तक पहुंच पाई.... जिनको जरूर थी उनको कभी योजना का लाभ मिला ही नहीं... इन योजनाओं का सबसे ज्यादा फायदा बिचौलियों और उन लोगों को मिला जो इसके पात्र नही थे.... सही मायने में योजना आयोग की योजना का लाभ देश के महज़ 30 फीसदी लोगों को ही मिला है... जब कि आज भी 70 फीसदी आबादी इसके इंतजार में है.... अब मोदी सरकार से देश की आवाम को बहुत उम्मीदें है... कि मोदी अब उनके हालातों में बदलाव लाएंगे.... ऐसा लगता भी है क्योकि देश में मोदी जहां भी जाते है वहां के किसानों और स्थानी कारोबार पर ही बात करते हैं....चाहे वो वाराणसी का हथकरगा हो या जम्मू- कश्मीर का केसर ... मोदी देश की इन पहचानों को और आगे ले जाने की कोशिश में लगे हैं... इसी के चलते मोदी ने लाल किले के प्राचीर से मेक इन इंडिया का संदेश दिया है.... मोदी देश के स्थानीय कारोबार को विश्व के पटल पर लाना चाहते हैं.... ऐसा पहली बार हो रहा है कि कोई प्रधानमंत्री इनके बारे में सोच रहा है.. नही तो 67 सालों में जब भी आम आदमी की समस्याओं के बारे में आवाज उठी... तो सरकार इनके लिए एक पैकेज निकाल पर खुश कर देती थी... जबकि हकीकत में वो पैकेज इस जरूरतमंद लोगों तक ना पहुंच कर सरकारी फाइलों और बिचौलियों के बीच में बट जाता था.... लेकिन मोदी जिस रंग में दिख रहे है उससे ऐसा लगता है कि अब ऐसा नही होगा जैसा अभी तक होता आया है... इसके लिए मोदी ने सबकी जवाबदेही तय कर दी है...मोदी अपने मंत्रियों की क्लास कुछ इस तरह लेते हैं जैसे जिले का कोई कप्तान दरोगाओं की लेता हो... मोदी ने मंत्रालयों में होने वाले टकराव को खत्म करने की कोशिश की है... क्योकि पिछली यूपीए सरकार में कुछ मंत्रालय ऐसे थे जो आपस में ही लड़ते रहते थे.... जिससे कई योजनाएं पूरी नही हो सकी... मोदी ने अपने 3 महीने में जितना काम किया है उतना शायद मनमोहन सिंह ने 10 सालों में नहीं किया... इतना ही नही मोदी सरकार का पहले सत्र में सबसे ज्यादा काम हुआ.....यानी साफ है कि मोदी अभी काम करने के मूड में है... इसलिए मोदी के मंत्री हमेशा सतर्क रहते हैं.... पता नही कब मास्टर जी हिसाब मांग ले.... और मोदी का कोई भी मंत्री मोदी की क्लास में खुद की फजीहत नहीं कराना चाहता है... जाहिर है मोदी को काम करने वाले पसंद हैं.. काम चोर नहीं... मोदी खुद भी 20 घंटे काम करते है... मोदी ने जब से प्रधानमंत्री का पद संभाला है तब से अब तक एक दिन की भी छुट्टी नही ली है.... मोदी देश को डिजिटल इंडिया का ख्वाब दिखा रहे है.. मोदी सरकार को देश की आवाम के हाथों में देना चाहते हैं... मोदी ने हर आदमी का बैंक में खाता है इसके लिए जन-धन योजना की शुरूआत भी कर दी है....जिसमें हर नागरिक का बैंक में खाता होगा.... इसका सबसे ज्यादा फायदा उन लोगों को होगा जो लोग बैंक में खाता ना होने या बैंक दूर होने का कारण जालसाजों के चक्कर में फंस जाते हैं... अब लोगों के चिटफंड के जालसाजी के कारोबार में पैसा लगाने की जरूरत नही होगी... आप देश के दूर दराज इलाकों में चले जाइये जहां बैंक ना हो लेकिन वहां चिटफंड का आफिस जरूर आपको मिल जाएगा.. जो हर महीने गरीबों की मेहनत की कमाई को डकार रहे हैं... यानी की मोदी की इस योजना से सबसे ज्यादा देश के गरीबों को ही लाभ होगा बशर्तें योजना सही रूप से लागू हो सके.... इसके साथ ही मोदी देश में 100 स्मार्ट सिटी बनाने की बात कर रहे है.. इस पर गुजरात में काम भी चल रहा है.. वही मोदी ने हर गांव में बुनियादी सुविधायें पहुंचाने के प्रयास भी शुरू कर दिए हैं.... मोदी ने सांसदों से कहा है कि वो अपने क्षेत्रों के हर गाव में घर-घर शौचालय हो ये सुनिश्चित करें....मोदी की इस योजनाओं के देश औऱ सुन कर तो ऐसा लगता है कि अब देश में कुछ होगा.... लेकिन एक बड़ा सवाल ये है कि मोदी साहब को उन अधिकारियों और बाबुओं से काम कराना है जिन्हें काम ठीक से ना करने की आदत है....ये चुनौती नेहरू के दौर में भी थी और आज भी है.... 

Friday, January 10, 2014

देश की सोच बदल रही है.............

देश के समूचा उत्तर भारत इस वक्त कड़ाके की ठंड़ से ठिठुर रहा है। हर कोई बस खुद को ढ़कना चाहता है। लेकिन देश में कड़ाके की सर्दी के इस मौसम में भी राजनीतिक गलियारों में बहुत गर्मी है। गर्मी ऐसी की हर कोई बेचैन है चाहे वो खास हो या आम। कोई चौराहें की चाय की दुकान पर होने वाली अड़ेबाजी में नई सोच की बात करता है और कोई देश के सबसे वीवीआईपी इलाके लुटियन जोन में सुबह की चाय की चुसकियों के साथ नई राजनीतिक सोच पर सोचता है। हालात ये है कि सभी अपनी विरासत को बचाने में लगे हैं। दोनों को तो बस चिंता है अपने भविष्य की। क्योकि देश में एक बार फिर से आम आदमी ने सत्ता को चुनौती दी है। भारत या कहें दुनिया का इतिहास गवाह है कि जब-जब आम आदमी ने सत्ता को चुनौती दी है तो कुछ नया हुआ है। इस समय देश में आलम ये है कि कोई इमेज डेवलप करने के लिए 500 करोड़ खर्च कर रहा है तो कोई पीएम इन वेटिंग है जो इतिहास पर अफसोस जता रहा है। वही एक आम आदमी पार्टी के नेता अरिवंद केजरीवाल देश में हैं जो एक नई लकीर खींचने का प्रयास कर रहे हैं। प्रयास ये नही कि किसी नेता या पार्टी की लकीर मिटा के अपनी लकीर खींच रहे है। केजरीवाल एक ऐसी लकीर खींच रहे है जिसे इस देश के नेताओं ने खींचने की कोशिश कभी नही की। आज हर कोई केजरीवाल के साथ जुड़ना चाहता है। ये वही केजरीवाल हैं जिन्हें दिल्ली विधानसभा चुनावों के दौरान उम्मीदवार नही मिल रहे थे। लेकिन आज तस्वीर बदल गई है आज देश के पास एक नेता नही एक सोच है। जिसका एक मात्र उद्देश्य है आम आदमी को वो सुविधाएं मिले जिसके वो हकदार हैं। आखिर केजरीवाल ने ऐसा क्या नया कह दिया कि आज आम आदमी केजरीवाल के साथ खड़ा है। चुनावों में हर पार्टी के मेनिफेस्टों में बिजली,पानी,सड़क मुख्य मुद्दे होते है लेकिन वो सिर्फ मुद्दे भर ही बन कर रह जाते हैं। ऐसा क्या है कि आजादी के 66 बरस बीत जाने के बाद भी देश आज वही खड़ा है जहां 15 अगस्त 1947 को खड़ा था। देश में तब भी बिजली,पानी, सड़क और गरीबीं मुद्दे थे आज भी है। आजादी के इतनें सालों बाद भी कुछ नही बदला। हर साल सरकारें गरीबों के पुर्नवास के लिए सैकड़ों योजनाय़ें बनाती है लेकिन तस्वीर है कि बदलती नहीं। देश में गरीब आज भी सड़कों के किनारे सोने को मजबूर है। आज भी देश में हर शहर में सैंकड़ों झुग्गी बस्तियां बसी हुई है। जहां इंसान नरक से भी बदत्तर जिंदगी जीने को मजबूर है। आज भी हर साल पानी को लेकर शहरों,गांवों कई हत्यायें हो जाती है। खुद की प्यास बुझाने के लिए लोग एक-दूसरे के खून के प्यासे हो जाते हैं। वज़ह साफ है कि इनकी दशा में सुधार करने के लिए कभी कोई ईमानदार प्यास ही नही किया गया। वरना ऐसी कौन सी गरीबी है जो सरकार की अरबों खरबों रुपये की योजनाओं के बाद भी जाने का नाम नही ले रही है। देश से गोरे गये और अपनों ने अपनों का शोषण करना शुरू कर दिया। लोगों के आज सबसे ज्यादा परेशानी देश की बाबूशाही से है जो ना तो खुद काम करती है और ना ही किसी को काम करने देती है। यहीं पर केजरीवाल की सोच आम आदमी के जेहन में फिट बैठती है। केजरीवाल देश में काम के बदले गांधी के चल को खत्म करने की कोशिश में लगे हैं। केजरीवाल अफसरों को ईमानदारी से काम करने की सलाह देते है। और लोगों को उन पर नज़र रखने के गुर सिखा रहे हैं। लेकिन लोगों की सोच में कितना बदलाव आएगा ये एक बड़ा सवाल है क्योकि रिश्वत मांगना और देना दोनों गुनाह हैं। अब एक बात और समझने वाली है कि जिस तरह आज केजरीवाल के साथ लोग जुड़ रहे है ऐसे में केजरीवाल के सामने खुद की सोच को बनाये रखना भी एक बड़ी चुनौती होगी। नहीं तो कहीं केजरीवाल का भी हाल इतिहास के आंदोलनों जैसा ना हो जाएं।