Wednesday, January 20, 2010

उत्तर प्र देश में समाजवाद

उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी का आज जो हल है उसके लिए हर एक आदमी अमर सिंह को दोसी मान रहा है लेकिन मेरा मन नहीं मानता की समाजवादी पार्टी की इस दसा के लिए अमर सिंह दोसी है। समाजवादी पार्टी आज जिस दसा में है उसके लिए कही न कही वो सारे समाजवादी दोसी है जो खुद को देश का सबसे बड़ा समाजवादी कहते है... अगर सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव की बात करे तो आज भी उत्तर प्रदेश का हर समाजवादी उनके साथ खड़ा है। राम मनोहर लोहिया के बाद मुलायम सिंह ही एसे समाजवादी नेता है जिन्होंने पूरे उत्तर प्रदेश में समाजवाद की लो जलाई थी। लेकिन शायद सत्ता के लालच में समाजवादी पार्टी के नेताओ ने आज समाजवादी पार्टी को इन हालातो में ला दिया है.... फिर आप पार्टी के इन हालातो के लिए अमर सिंह को जिमेदार माने या मुलायम को लेकिन तस्वीर के पीछे कोई और ही है.... जो चिला चिला कर खुद को समाजवादी कह रहा है... अमर सिंह का इस्तीफ़ा शिव्कार कर मुलायम सिंह ने उन समाजवादियों को एक मौका जरूर दे दिया है.... जो पार्टी के लिए खून बहाने का नाटक किया करते है॥ लेकिन जब वक्त आता है तब नेता जी के पीछे खड़े हो जाते है... यादयही दिखा सपा के इन दिनों चल रहे जेल भरो आन्दोलन में जो केवल नाम का ही आन्दोलन रह गया है.
चलिए हम बात करते है समाजवाद की उत्तर प्रदेश में अगर १९९० के पहले की बात करे तो शायद ही कोई हो जो समाजवाद की भाषा जनता हो..... अगर हम पूरे देश की बात करे तो आज भी कुछ ही लोग होगे जिन्हों ने समाजवाद के जनक डॉ राम मनोहर लोहिया की सप्त क्रांति को पड़ा हो गा। या कहे जो लोग आज खुद को समाजवाद का पुरुधा कह रहे है... उन्हों ने किताब को कितना पड़ा होगा। अगर उत्तर प्रदेश के लोगो को सही मायने में समाजवाद का पाठ किसने सिखाया तो सबसे पहले मुलायम सिंह का ही नाम सामने आता है। मुलायम सिंह ही थे जिन्होंने एक दसवी क्लास के स्टुडेंट को अपने हक़ के लिए समाज से लड़ना सिखाया.... ये मुलायम ही थे जिन्हों ने लोहिया के पाठ पर चल के पूरे देश को हमेसा जोड़ने की बात की ... लेकिन जिस तरह किसी घर के सभी लोग एक जैसा नहीं काम करते उसी तरह समाज वादी पार्टी में सारे नेता एक सा काम नहीं करते... कुछ केवल कुर्सी पाना चाहते है तो कुछ सत्ता की आढ़ में आपना काम निकलना चाहते है...