1५२७४ मौते , ५ लाख से ज्यादा लोग गैस से पीडित , वक्त २५ साल , आरोपी १२ एक की मौत एक फरार , सजा केवल २ साल , जुरमाना १-१ लाख रुपए जमानत पर रिहा २५-२५ हजार के मुचलके पर, क्यां गैस पीडितो के लिए यही न्याय है। क्या कोर्ट के फैसले से उनलोगों के दिलो के जखम भर जायेगे। २५ साल बीत गए और सरकारे कुम्भकरनी नीद सोती रही लेकिन अब ऐसा क्या हो गया । कि राज्य ही नहीं केंद्र सरकार भी जाग गई । यहाँ तक की सत्ताधारीपार्टी के दो दिग्गज नेताआपस में शुरुहो गए । दोनों में से एक तत्कालीन राज्य सरकार के मुख्यमंत्री को बचा रहे है तो दूसरा उन्हें घसीट रहा है। आज जितने भी खुलासे हो रहे है। वो २५ सालो के दौरान क्यों नहीं हुए । जो अफसर आज नेताओ और बड़े अफसरों को दोसी बता रहे है । क्या वो दोसी नहीं ? क्यों की देश में किसी मामले को दबाना , या अपने पद का दुरपयोग करना अपराध है। जो अफसर आज न्याय की बात कर रहे है वो तब क्या सो रहे थे। तब उनका जमीर नहीं जागा। ऐसा क्या हो गया जो कल तक अपनी जुबान नहीं खोलते थे। आज पूरी कथा सुना रहे है..... ये अपने आप में एक सवाल है? इसका जवाब कौन देगा। क्या ये लोग दोसी नहीं मुख्य आरोपी को भगानेमें। अगर इन लोगो ने तब अपनी जुबान खोली होती तो शायद आज नतीजा कुछ और हुआ होता। अगर इन अफसरों को उस दिन अपना फर्ज याद होता तो शायद आज न्याय की आसमें लोगो को भटकना न पड़ता............... सयाद अब न्याय मिल जाये तो दोसी कौन होगे.....
3 comments:
aapne bilkul sahi bat rakhi hai..
अपनी ढेरों शुभकामनाओ के साथ
shashi kant singh
www.shashiksrm.blogspot.com
बिल्कुल सही लिखा है। ब्लाग जगत में आपका स्वागत है।
हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
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