Sunday, December 12, 2010
क्यों जरूरी हैं उमा ?
उमा भारती एक ऐसा नाम जिसे लेने से पहले बीजेपी के आला नेता भी एक बार सोचते हैं । आखिर क्या वज़ह है कि बीजेपी के लिए उमा भारती जरूरी है। जब भी बीजेपी में उमा भारती की वापसी की सुगबुगाहट षुरू होती है। बीजेपी के कुछ नेता असहज होने लगते हैं। वज़ह है उमा भारती का अडियल रवैया। एक बार फिर से बीजेपी में उमा भारती की वापसी के लिए संभावनाएं तेज हो गई हैं। कहा जा रहा है कि पार्टी के सबसे वरिश्ठ नेता लाल कृश्ण आडवाणी ने उमा भारती की वापसी पर अपनी सहमति दे दी है। लेकिन साध्वी के भेश में राजनेता उमा भारती के बीजेपी में पुनर्प्रवेष की सम्भावनाओं पर पार्टी के भीतर ही आपस में तलवारें खिंच गई है। वर्तमान समय में बीजेपी का पद आसीन कोई भी नेता उमा की वापसी के मुद्दे पर सहमत नहीं है। लेकिन बीजेपी की क्या मजबूरी है कि वो बार-बार उमा की वापसी के लिए नए रास्ते तैयार कर रही है। क्या वज़ह है कि संघ तक उमा भारती के मुद्दे पर चुप्पी साध लेता है। मध्य प्रदेष की मुख्यमंत्री रह चुकी उमा भारती ने जब बीजेपी से बगावत कर अपनी पार्टी बनाई थी तब ऐसा लग रहा था कि बीजेपी को काफी नुकसान पहुंचाएंगी लेकिन तस्वीर एक दम उल्टी दिखी। उमा भारती ने ना तो बीजेपी को कोई नुकसान पहुंचाया और ना ही अपनी जमीन मजबूत कर पाई। बीजेपी से बाहर रहकर उन्होंने न केवल अपनी ताकत का ही आकलन कर लिया। बल्कि बीजेपी ने भी उनकी ताकत देख ली। कि साध्वी का जनाधार कितना है। बीजेपी से बगावत के बाद उमा भारती के साथ वहीं नेता और लोग दिखे थे जिन्हें या तो बीजेपी में कोई पद नहीं मिला था या फिर लोध जाति के लोग। उमा भारती लोध जाति से आती है। इस जाति का प्रभाव यूपी और एमपी के कुछ जिलों में है। यूपी में कल्याण सिंह को लोध जाति का सबसे बड़ा नेता माना जाता हैं। यही वज़ह है कि यूपी विधानसभा चुनावों में उमा भारती ने अपने उम्मीदवारों को चुनावी समर में नहीं उतारा था। यही हाल गुजरात चुनावों के दौरान भी हुआ था जब अपने उम्मीदवारों के फॉर्म जमा करवाने के बाद नाम वापस ले लिए थे। उमा भारती ने उस समय ये दलील दी थी कि ये फैसला उन्होंने अपने गुरू की आज्ञा के बाद लिया था। लेकिन वास्तव में उमा भारती को मध्य प्रदेष के नतीजे याद थे। वो नहीं चाहती थी कि गुजरात चुनाव में अपने उम्मीदवार खड़े कर वो बीजेपी में वापसी के सारे रास्ते बंद कर लें। इस समय एक बार फिर से उमा भारती और आडवाणी नजदीक आ रहे है। ऐसे कयास लगाएं जा रहे है कि पार्टी उन्हें यूपी विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी की कमान सौंप सकती है। पार्टी उमा भारती की वापसी से एक तीर से दो निषाने लगाना चाहती है एक तो पार्टी में लाल कृश्ण आडवाणी की सबसे करीब उमा भारती की वापसी और दूसरा पष्चिमी उत्तर प्रदेष में कल्याण सिंह के लोध वोट बैंक में सेंध लगाना। लेकिन उमा भारती की वापसी की ख़बरों से बीजेपी के कई नेता असहज हो गए है। बहरहाल उमा भारती बीजेपी में आने को तैयार है लेकिन सही वक़्त के लिए अभी पार्टी इंतजार में है।
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